10 हिंदी शायरियाँ | Top 10 Hindi shayari

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  🌹 1. तन्हाई की शाम कितनी तन्हा सी लगती है ये शाम, तेरे बिना अधूरी है मेरी हर बात का पैगाम। तेरे बिना ये चाँद भी जैसे रूठा है, दिल कहता है — बस तू लौट आ, यही तो सच्चा है। --- 🌸 2. अधूरी मोहब्बत हमने तो हर सांस में तेरा नाम लिखा, तेरे जाने के बाद भी तुझसे प्यार लिखा। तू समझा ही नहीं इस दिल की ज़ुबान, अब तुझे भुलाना बना है मेरी जान का इम्तिहान। --- 💔 3. धोखा जिसे समझा था सब कुछ, वो ही निकला पराया, कभी हँसी थी जहाँ, अब बस है साया। दिल से खेल गए वो नकाब में लोग, पलकों पे रखा जिन्हें, वो ही कर गए रोग। --- 🌟 4. सपना और सच्चाई सपनों में जो देखा, वो हकीकत नहीं था, जो साथ चला, वो मेरा नसीब नहीं था। हर मोड़ पर उसकी कमी महसूस हुई, जैसे अधूरी कहानी कोई अधूरी प्यास सी हुई। --- 🕯️ 5. वक़्त का सफ़र वक़्त बहुत कुछ सिखा देता है, बोलने वालों को चुप करवा देता है। जिसे समझा था अपना साया, वो ही आज सबसे पराया निकला। --- 💌 6. पहला प्यार तेरी मुस्कान में बसती थी मेरी ज़िंदगी, तेरी खामोशी में भी मिलती थी बंदगी। पहला प्यार था तू, जो भूल न पाया, तेरे बिना आज भी हर ख्वाब अधूरा सा आया। --- 🌧️ 7. भीगी य...

"वो जो मेरा प्यार था, आज अधूरा हो गया"

  🥀 एक दर्दभरी प्रेम कहानी — सुमित और सुनीता की जुबानी





❤️अध्याय 1: पहली नज़र वाला प्यार

2008 की वो दोपहर थी। गाँव के सरकारी स्कूल में गर्मियों की छुट्टी होने के बाद भी कुछ बच्चों की चहल-पहल थी। सुमित, अपने दोस्तों के साथ मैदान में क्रिकेट खेल रहा था। एक लंबा छक्का मारने के बाद जब गेंद झाड़ियों में जा गिरी, वह दौड़ता हुआ गया, और वहीं उसकी नज़र पड़ी — एक लड़की पर, जो पास के घर के आँगन में खड़ी थी, पीले रंग की सलवार-सूट में।


सुनीता।

शायद पहली बार देखी थी, पर दिल मानो उसे सदियों से जानता था। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में जैसे पूरा ब्रह्मांड बस गया था।

“कौन है ये?” सुमित ने खुद से पूछा।

“कभी पहले क्यों नहीं दिखी?” दिल ने जवाब दिया, “क्योंकि अब दिखनी थी…”

वो गाँव की मुखिया की बहन की बेटी थी, शहर से गाँव आई थी गर्मी की छुट्टियाँ बिताने। नाम — सुनीता। नाज़ुक, सादगी से भरी, और आँखों में एक अलग ही मासूमियत।


😃अध्याय 2: दोस्ती की शुरुआत

सुमित ने कोशिश की उसे पहचानने की। धीरे-धीरे बातें बढ़ीं। सुनीता सुबह मंदिर जाती थी, तो सुमित भी अब रोज़ मंदिर जाने लगा। वो स्कूल के पास के तालाब पर बैठती, तो सुमित वहीं आस-पास मंडराता।

एक दिन अचानक बारिश आ गई। सब भागे, सुनीता भी। लेकिन उसका पैर फिसला। सुमित ने दौड़ कर उसे थाम लिया।

“ध्यान से चला करो,” सुमित ने कहा।

“थैंक यू,” सुनीता मुस्कुरा दी।

वही मुस्कान... सुमित की ज़िंदगी की सबसे कीमती चीज़ बन गई।

❤️ अध्याय 3: खतों में पनपता प्यार

उस ज़माने में मोबाइल गाँव में सबके पास नहीं था। लेकिन सुमित ने सुनीता के लिए चुपचाप एक खत लिखा:

"जब से तुम्हें देखा है, लगता है अब दिल को मंज़िल मिल गई है। पर पता नहीं ये एहसास कब जुबां तक आएगा..."

सुनीता ने जवाब नहीं दिया, लेकिन वो मुस्कुरा दी। और उस मुस्कान ने सुमित को यकीन दिला दिया कि वो भी उसे पसंद करती है।

कुछ महीने ऐसे ही बीते। साथ मंदिर जाना, तालाब किनारे बैठकर बातें करना, और कभी-कभी स्कूल की पुरानी किताबें बहाने से देना। सबकुछ बस... खूबसूरत था।


✅अध्याय 4: बदलते हालात

2020 में अचानक सबकुछ बदल गया। कोरोना की वजह से सारा देश लॉकडाउन में चला गया। सुनीता वापस शहर चली गई। फोन कम हो गया, बातचीत धीमी हो गई।

सुमित रोज़ वाट्सऐप पर “Hi” करता। कई बार सुनीता जवाब देती, कई बार नहीं।

धीरे-धीरे सुमित को लगने लगा कि अब वो दूर जा रही है। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

"मैं इंतज़ार कर लूंगा सुनीता, जब तक तुम वापस नहीं आ जाती…"

पर उसे क्या पता था, ये इंतज़ार सिर्फ इंतज़ार ही रह जाएगा।


💔 अध्याय 5: एक दिन वो तस्वीर आई

2023 का मार्च महीना था। सुमित अपने कमरे में बैठा सुनीता की पुरानी बातें सोच रहा था। तभी मोबाइल पर एक फोटो आया — सुनीता की सगाई की तस्वीर। वो लाल साड़ी में थी, माथे पर सिंदूर और गले में 


मंगलसूत्र...

“नहीं... ये सपना है ना?” सुमित की आँखों से आँसू बह निकले।

“उसने तो कहा था वो मुझसे बात करेगी… उसने तो कभी नहीं कहा कि वो किसी और की हो जाएगी…”

उस रात सुमित छत पर गया, चाँद की तरफ देखा और फूट-फूटकर रो पड़ा।


💖 अध्याय 6: अधूरी मोहब्बत का आखिरी पन्ना

सुनीता की शादी हो गई। सुमित ने बधाई का मैसेज भेजा, और जवाब आया 

“थैंक यू सुमित… तुम हमेशा मेरे अच्छे दोस्त रहोगे

बस दोस्त?

इतने सालों की मोहब्बत, इतनी वफादारी, सब एक ‘दोस्ती’ में सिमट गई।

सुमित ने कभी किसी और से प्यार नहीं किया।

वो आज भी अकेला है। मंदिर जाता है, वो ही मंदिर जहाँ पहली बार सुनीता से टकराया था।

♈ अध्याय 7: आज भी याद करता हूँ…

सुमित हर साल उसी तारीख़ को तालाब किनारे बैठता है। सुनीता की पसंदीदा किताब हाथ में होती है ‘प्रेमचंद की कहानियाँ’। और मन में सवाल:


“क्यों अधूरी रह गई ये मोहब्बत?”

“क्या सिर्फ़ हालात ने छीना, या वो प्यार ही झूठा था?”


📜 अंतिम शब्द:


> "वो जो मेरा प्यार था, आज अधूरा हो गया।

मैं जी रहा हूँ, लेकिन हर रोज़ मरता हूँ।

किसी और की खुशियों के लिए,

मैंने अपने सारे अरमान दफ़न कर दिए..."


✨ लेखक की ओर से (Bikash द्वारा):


अगर आपने कभी किसी से सच्चा प्यार किया है, पर वो प्यार अधूरा रह गया — तो आप सुमित की तकलीफ़ समझ सकते हैं। ये कहानी सिर्फ़ एक किरदार की नहीं है, ये कहानी

 हम सबकी है — जिन्होंने किसी को टूटकर चाहा, मगर मुकम्मल न कर सके।

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