10 हिंदी शायरियाँ | Top 10 Hindi shayari

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तेज़पुर की अधूरी मोहब्बत: रवि और ज्योत्सना की कहानी"
भाग 1: पहली मुलाकात
तेज़पुर, असम का वह खूबसूरत शहर जो ब्रह्मपुत्र के किनारे बसा है, हर मौसम में कुछ न कुछ कहता है। हरे-भरे पहाड़, सुकून देने वाली ठंडी हवाएँ और वो कॉलेज की भीड़भाड़ वाली गलियाँ—यहीं पहली बार मिले थे रवि और ज्योत्सना।
रवि, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाला लड़का था। उसका स्वभाव बेहद शांत, पर आँखों में बड़े सपने थे। पढ़ाई में तेज़ और व्यवहार में बेहद विनम्र। वहीं, ज्योत्सना एक असमी ब्राह्मण परिवार की इकलौती बेटी थी, जिसकी मुस्कान पूरे कॉलेज की रौनक बढ़ा देती थी। दोनों तेज़पुर कॉलेज में बी.ए. की पढ़ाई कर रहे थे।
एक दिन कॉलेज लाइब्रेरी में दोनों की नज़रें मिलीं। नज़रों ने जो कहा, वो शब्द कभी नहीं कह पाए। किताबों के बहाने बातें शुरू हुईं और जल्द ही वो एक-दूसरे की ज़रूरत बन गए।
भाग 2: मोहब्बत की शुरुआत
रवि की शायरी और ज्योत्सना की हँसी—एक-दूसरे की सबसे बड़ी ताक़त बन गई। तेज़पुर की सड़कों पर हाथ थामे घूमना, घंटों कॉलेज की बेंच पर बैठकर सपनों की बातें करना, और कभी-कभी बस यूँ ही खामोश रहकर भी सब कुछ कह देना—उनकी मोहब्बत में सब कुछ था।
ज्योत्सना को रवि की सादगी बहुत भाती थी, और रवि को ज्योत्सना की मासूमियत में उसकी दुनिया नज़र आती थी। उन्होंने हर त्योहार, हर मौसम और हर पल को एक साथ जीने का वादा किया।
भाग 3: समाज की दीवार
मगर प्यार इतना आसान कहाँ होता है। ज्योत्सना के परिवार को यह रिश्ता बिल्कुल मंज़ूर नहीं था। वजह? जात-पात, समाज का डर और रवि की मामूली हैसियत। ज्योत्सना के पिताजी, जो तेज़पुर के प्रतिष्ठित स्कूल में प्रधानाचार्य थे, उन्होंने यह साफ़ कह दिया कि रवि से उसका कोई नाता नहीं रहेगा।
रवि ने लाख कोशिश की, लेकिन एक ग़रीब लड़के के पास इज़्ज़त के अलावा कुछ नहीं था। और जब मोहब्बत को जाति से तौला जाता है, तब इज़्ज़त भी मायने नहीं रखती।
भाग 4: बिछड़ने की घड़ी
ज्योत्सना के आँसू रवि से छुपाए नहीं छुपते थे। उन्होंने एक-दूसरे से वादा किया था कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा, लेकिन अब हालात वो नहीं रहे। एक दिन ज्योत्सना ने रवि से मिलने के बाद कहा:
"अगर हम साथ नहीं हो पाए, तो वक़्त के साथ सब भूल जाऊँगी, लेकिन तुमसे की गई मोहब्बत हमेशा जिंदा रहेगी।"
रवि बस मुस्कराया, पर उसकी आँखें सब कह गईं। उन्होंने एक आखिरी बार तेज़पुर की ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे साथ वक़्त बिताया—वहीं जहाँ उनका प्यार शुरू हुआ था।
भाग 5: समय की मार
ज्योत्सना की शादी परिवार की मर्ज़ी से एक सरकारी अफसर से कर दी गई, जो दिल्ली में पोस्टेड था। रवि ने खुद को पढ़ाई में डुबा दिया। वह गुवाहाटी चला गया और वहाँ से यूपीएससी की तैयारी करने लगा। मोहब्बत ने उसे तोड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
सालों बाद, रवि एक IAS अधिकारी बना और तेज़पुर में ही पोस्ट किया गया। शहर बदला नहीं था, वही गलियाँ, वही हवा, लेकिन अब रवि अकेला था। उसने एक छोटा सा घर लिया—ब्रह्मपुत्र के किनारे। जहाँ कभी उसने और ज्योत्सना ने सपने देखे थे।
भाग 6: आखिरी मुलाकात
एक दिन रवि की ऑफिस में एक लेटर आया—"ज्योत्सना ICU में है, और तुम्हें देखना चाहती है।"
दिल काँप गया। वह भागा-भागा अस्पताल पहुँचा। ज्योत्सना बहुत कमज़ोर हो चुकी थी, लेकिन उसकी आँखों में वही चमक थी।
"रवि... तुम वही हो... जो मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी जीत हो।"
रवि की आँखों से आंसू झर-झर बहने लगे। उसने उसका हाथ थामा और कहा
"तुम कभी गई ही नहीं, ज्योति। हर सांस में तुम थी, हर धड़कन में भी।"
कुछ ही पलों में, ज्योत्सना ने हमेशा के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी मुस्कान अब भी वैसी ही थी—प्यार से भरी।
भाग 7: अधूरी लेकिन अमर मोहब्बत
रवि अब भी तेज़पुर में रहता है। उसने शादी नहीं की। हर साल ज्योत्सना की याद में ब्रह्मपुत्र किनारे दीप जलाता है। वो जानता है, उसका प्यार अधूरा था, लेकिन सच्चा था।
"हर प्रेम कहानी का सुखद अं
त नहीं होता, लेकिन उसका मतलब ये नहीं कि वो कहानी अधूरी है।"
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