10 हिंदी शायरियाँ | Top 10 Hindi shayari

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  🌹 1. तन्हाई की शाम कितनी तन्हा सी लगती है ये शाम, तेरे बिना अधूरी है मेरी हर बात का पैगाम। तेरे बिना ये चाँद भी जैसे रूठा है, दिल कहता है — बस तू लौट आ, यही तो सच्चा है। --- 🌸 2. अधूरी मोहब्बत हमने तो हर सांस में तेरा नाम लिखा, तेरे जाने के बाद भी तुझसे प्यार लिखा। तू समझा ही नहीं इस दिल की ज़ुबान, अब तुझे भुलाना बना है मेरी जान का इम्तिहान। --- 💔 3. धोखा जिसे समझा था सब कुछ, वो ही निकला पराया, कभी हँसी थी जहाँ, अब बस है साया। दिल से खेल गए वो नकाब में लोग, पलकों पे रखा जिन्हें, वो ही कर गए रोग। --- 🌟 4. सपना और सच्चाई सपनों में जो देखा, वो हकीकत नहीं था, जो साथ चला, वो मेरा नसीब नहीं था। हर मोड़ पर उसकी कमी महसूस हुई, जैसे अधूरी कहानी कोई अधूरी प्यास सी हुई। --- 🕯️ 5. वक़्त का सफ़र वक़्त बहुत कुछ सिखा देता है, बोलने वालों को चुप करवा देता है। जिसे समझा था अपना साया, वो ही आज सबसे पराया निकला। --- 💌 6. पहला प्यार तेरी मुस्कान में बसती थी मेरी ज़िंदगी, तेरी खामोशी में भी मिलती थी बंदगी। पहला प्यार था तू, जो भूल न पाया, तेरे बिना आज भी हर ख्वाब अधूरा सा आया। --- 🌧️ 7. भीगी य...

"Adhuri Mohabbat – The Story of Ambika and Anjan"

 अंबिका और अंजन की अधूरी मोहब्बत



तेजपुर, असम का एक शांत और सुंदर गांव — जहां हर गली, हर मोड़ पर एक कहानी छुपी होती है। उन कहानियों में से एक थी अंबिका और अंजन की मोहब्बत, जो शुरू तो हुई दिल से, मगर खत्म हुई हालातों से।


पहली मुलाकात


अंबिका, एक सीधी-सादी लड़की थी। पढ़ाई में तेज, व्यवहार में मीठी। गांव की लाइब्रेरी में वह अक्सर किताबें पढ़ने आती थी।


अंजन, शहर से आया था – इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद गांव लौटा था, अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिताने के लिए।


पहली बार दोनों की नजरें लाइब्रेरी में मिली थीं। किताबों के बीच एक अंजान रिश्ता पनपने लगा।

धीरे-धीरे नज़दीकियां


अंबिका को साहित्य पसंद था, अंजन को भी। दोनों की बातें कब घंटों की होने लगीं, पता ही नहीं चला।


एक दिन अंजन ने कहा –

"तुम्हारी आंखों में कविता बसती है, अंबिका।"

वो मुस्कुरा दी।


रोज़ मिलना, बातें करना, बारिश में भीगते हुए साथ चलना — ये सब कुछ जैसे एक सपने की तरह था।


प्यार का इज़हार


अंजन ने एक दिन मंदिर के पीछे आम के पेड़ के नीचे कहा –

"मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, अंबिका। क्या तुम भी मुझे चाहती हो?"

अंबिका की आंखों में आंसू थे, पर होंठों पर मुस्कान –

"हां अंजन, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं।"


वो दिन उनके जीवन का सबसे खूबसूरत दिन बन गया।

समाज की दीवारें


मगर किस्मत को ये मंजूर नहीं था। अंबिका का परिवार एक रूढ़िवादी ब्राह्मण था, और अंजन एक ओबीसी समुदाय से आता था।


जब उनके प्यार का पता घरवालों को चला, बवाल मच गया।


"जात अलग है, समाज क्या कहेगा?"

"हमारा सर झुक जाएगा।"

अंबिका को घर में कैद कर लिया गया। अंजन को गांव छोड़ने को मजबूर किया गया।


आखिरी मुलाकात

एक रात अंबिका चुपके से घर से निकली। उसने अंजन को आखिरी बार मिलने बुलाया।

अंजन स्टेशन पर उसका इंतजार कर रहा था। ट्रेन आने ही वाली थी।

अंबिका ने उसका हाथ थामा और कहा –

"काश हम किसी और जन्म में मिलते, जहां कोई दीवार ना होती।"

अंजन ने उसे गले लगाया –

"अगर किस्मत साथ दे तो फिर मिलेंगे, अंबिका। इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में।"

अंजन ट्रेन में चढ़ गया... और अंबिका वापस अंधेरे में खो गई।

सालों बाद

तेजपुर की उसी लाइब्रेरी में एक बुजुर्ग महिला रोज बैठती है — वही अंबिका।

वो अब भी उसी आम के पेड़ के नीचे बैठकर कविता लिखती है, अंजन के नाम की।

लोग पूछते हैं –

"किसका इंतजार है?"

वो मुस्कुरा कर कहती है –

"जो कभी गया था, वो एक दिन लौटेगा... किसी कहानी में, किसी सपने में..."


सीख:


मोहब्बत सच्ची हो तो वो कभी खत्म नहीं होती, बस वक़्त के पन्नों में दब जाती है।



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